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                 आपको हमारे blog पर नई शायरियाँ पढ़ने को मिलती हैं । आज की हमारी शायरी का शीर्षक हैं " ग़ालिब "
मैं उम्मीद करता हूँ की आपको ये शायरी पसंद आऐगी।
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जुर्म हुआ है यहाँ
मगर कोई कातिल भी नहीं

लोग बहोत हैं दुनिया में
मगर कोई मेरे काबिल भी नहीं

क्यों करना फिर मोहब्बत
जब वो शख्स हासिल ही नहीं

लिखते हैं लोग बहोत
मगर हर कोई यहाँ ग़ालिब भी नहीं

 Gaalib Pics